कुछ अपने

कोई अपना दे जब चोट तो हर आस टूटने लगती है
हर दिन सूरज के साथ जैसे शाम डूबने लगती है
दिल की धड़कन में बसने वाले जब दिल को धोखा दे दे तो
दर्द बढ़ते बढ़ते ही हर सांस थमने लगती है
जाने क्यों करते हैं ऐसा गैर भी ना करें हो जैसा
हर एक बुरी याद के साथ सिसकियां भी बढ़ने लगती है
इतना वक्त बिता साथ जिनके गर वही समझ ना पाए तो
हर एक मेरे आंसू के साथ उनसे दूरियां बढ़ने लगती है
इतना प्यार करने पर भी क्यों वह भूल जाते हैं कि
जिसे देते हैं चोट वह लड़की उनकी भी कुछ लगती है
लड़की है तो क्या हुआ दिल उसका भी तो दुखता है
जब दर्द सहा ना जाए तो आंखें बोलने लगती है

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